थोड़ा रूमानी हो जायें
Saturday, July 19, 2008
जगजीत सिंह कि गज़लों के कुछ अंश लिख रहा हूँ ।
नहीं मिलते हो तुम मुझ से तो सब हमदर्द हैं मेरे ,
ज़माना मुझ से जल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ ।
वो याद आए तो दिल तर्रनुम हो ,
दीद हो जाए तो फिर नज़र महके ।
Posted by :ubuntu at 1:33:00 AM
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irshaad irshaad.....