Agar tum mil jao - Original Version
Monday, January 21, 2008
I found this on YouTube.
An old and i guess original version of the song "Agar tum mil jao"
The singer is Tassarvur Khanum. I have never heard of her, but her voice is pleasing.
Posted by :ubuntu at 9:32:00 PM 1 comments
Labels: tassavur khanuum
Lovely video
Sunday, January 20, 2008
I was looking for this video since ages , today i found it. It's a beautiful but lesser known gazal of Jagjit Singh from his album Bhopal Express
Hope you'll enjoy this.
Posted by :ubuntu at 10:22:00 PM 0 comments
Labels: bhopal express, jagjit singh
आराम करो
यह कविता विश्व मक्कड़ जाल पर मिली और लगा इसी में जीवन कि सचाई है ।
आप भी पढें और सांसारिक मिथ्या से बाहर निकले ।
एक मित्र
मिले, बोले, "लाला, तुम किस चक्की का खाते हो?इस डेढ़ छँटाक के राशन में भी तोंद
बढ़ाए जाते हो।क्या रक्खा है माँस बढ़ाने में, मनहूस, अक्ल से काम
करो।संक्रान्ति-काल की बेला है, मर मिटो, जगत में नाम करो।"हम बोले, "रहने दो
लेक्चर, पुरुषों को मत बदनाम करो।इस दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम
करो।आराम ज़िन्दगी की कुंजी, इससे न तपेदिक होती है।आराम सुधा की एक बूंद, तन का
दुबलापन खोती है।आराम शब्द में 'राम' छिपा जो भव-बंधन को खोता है।आराम शब्द का
ज्ञाता तो विरला ही योगी होता है।इसलिए तुम्हें समझाता हूँ, मेरे अनुभव से काम
करो।ये जीवन, यौवन क्षणभंगुर, आराम करो, आराम करो।यदि करना ही कुछ पड़ जाए तो अधिक न
तुम उत्पात करो।अपने घर में बैठे-बैठे बस लंबी-लंबी बात करो।करने-धरने में क्या
रक्खा जो रक्खा बात बनाने में।जो ओठ हिलाने में रस है, वह कभी न हाथ हिलाने में।तुम
मुझसे पूछो बतलाऊँ -- है मज़ा मूर्ख कहलाने में।जीवन-जागृति में क्या रक्खा जो रक्खा
है सो जाने में।
मैं यही सोचकर पास अक्ल के, कम ही जाया करता हूँ।जो बुद्धिमान
जन होते हैं, उनसे कतराया करता हूँ।दीए जलने के पहले ही घर में आ जाया करता हूँ।जो
मिलता है, खा लेता हूँ, चुपके सो जाया करता हूँ।मेरी गीता में लिखा हुआ -- सच्चे
योगी जो होते हैं,वे कम-से-कम बारह घंटे तो बेफ़िक्री से सोते हैं।अदवायन खिंची खाट
में जो पड़ते ही आनंद आता है।वह सात स्वर्ग, अपवर्ग, मोक्ष से भी ऊँचा उठ जाता है।जब
'सुख की नींद' कढ़ा तकिया, इस सर के नीचे आता है,तो सच कहता हूँ इस सर में, इंजन
जैसा लग जाता है।मैं मेल ट्रेन हो जाता हूँ, बुद्धि भी फक-फक करती है।भावों का रश
हो जाता है, कविता सब उमड़ी पड़ती है।मैं औरों की तो नहीं, बात पहले अपनी ही लेता
हूँ।मैं पड़ा खाट पर बूटों को ऊँटों की उपमा देता हूँ।मैं खटरागी हूँ मुझको तो खटिया
में गीत फूटते हैं।छत की कड़ियाँ गिनते-गिनते छंदों के बंध टूटते हैं।मैं इसीलिए तो
कहता हूँ मेरे अनुभव से काम करो।यह खाट बिछा लो आँगन में, लेटो, बैठो, आराम
करो।
Posted by :ubuntu at 8:45:00 PM 0 comments
Charlotte Snowfall
Friday, January 18, 2008
Guys here are the pics of snowfall in Charlotte.
http://picasaweb.google.com/p.bahuguna/SnowFallInCharlotte
Here is one more
http://picasaweb.google.com/SouvikGupta2004/SnowInCahrlotte
Enjoy
Posted by :ubuntu at 3:40:00 PM 0 comments
Test Post
Thursday, January 17, 2008
Posted by :ubuntu at 8:25:00 AM 0 comments
Wrong timezone
Sorry, I forgot to change the time zone , so my post on snowfall will be as per IST when it has to be as per Eastern time zone
Posted by :ubuntu at 8:20:00 AM 1 comments
First snowfall of my life
First things first , this is heaven for me ... at least up till now
first snow of the season in Charlotte and very first of my life ... it is snowing right now , it's 2:42 am in the night and i am awake man, just came after walking in the snow and now having a kappa of tea.
I am lucky to see snowfall within a week of arrival in Charlotte ...it generally does not snow in Charlotte, last year it snowed just for one day and it's snowing now, so you got to be lucky to see snow in Charlotte.
Things are all hunky dory in the first week, let me settle down, let me put my feet in the deep waters and then let's see how life turns ...
BTW watched Lucky Number Slevin in the night , wonderful movie ...
Happy snowing till then :-) [pics due on me, u bet]
Posted by :ubuntu at 2:57:00 AM 0 comments
Labels: snowfall
With love , from America
Sunday, January 13, 2008
Writing this blog from America, to be precise Charlotte,NC. The flight was very long and boring
Absolutely loving the weather, it's chill out here 8 degree celcius, apartment is lovely, beautiful location, naked trees without a single leaf.
So this America for me in 2 days, visited today WalMart, its huge and Costco even bigger.
Have to go to office from tomorrow :-(
All ready to start my new phase of life ...
Posted by :ubuntu at 9:00:00 PM 3 comments