Five continents,Seven seas

Today my blog has been hit by all five continents of the world (thats what my ClustrMap shows).
Time to rejoice :-)

I haven't posted much since a long time (running short of thoughts and time). Nothing much going this side of the life.

I have recently bought an album by Harivanshrai Bachchan having his selected fourteen poems given voice by Big B.
Some collections are wonderful.....

I'm posting here a couplet i really liked

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यह माना मैंने खुदा नहीं मिल सकता है लंदन की धन जोवन गर्वीली
गलियों में ,यह माना उसका ख्याल नहीं आ सकता पेरिस की रसमय रातों की रंगीली
रंगरलियों में ,
जो शायर को है शाने खुदा उसमें तुम को शैन्तानी गोरख धंदा
दिखलाई देता,

पर शेख भुलावा
दो उनको जो भोले हैं,

तुम ने कुछ ऐसा गोलमाल कर रखा था, अपने घर में ही नहीं ख़ुदा का राज़ मिला,

मैंने तो काबे का हज कर के भी देख लिया ।

...

-- हरीवंश राए बच्चन

Posted by :ubuntu at 4:04:00 AM 3 comments