प्रेमचंद के उपन्यास से
Tuesday, July 28, 2009
यह पंक्तियाँ मैंने प्रेमचंद के एक उपन्यास मंगलसूत्र में पढ़ी थी ।
"अब जीवन का अँधेरा पहलु देखना चाहती हूँ ,जहाँ त्याग है ,रुदन है,उत्सर्ग है।
सम्भव है उस जीवन से मुझे बहुत जल्दी घृणा हो जाए। श्रम और त्याग का
जीवन ही मुझे अब तथ्य जान पड़ता है। आज जो समाज और देश की दूषित
अवस्था है सहयोग करना मेरे लिए किसी जूनून से कम नही है। मुझे
बेकाम -धंदे के इतने आराम से रहने क्या अधिकार है? मगर ये सब जान
के भी मुझमे कर्म की शक्ति नही है.इस भोग-विलास के जीवन नेमुझे कर्महीन
बना डाला है.बुद्धि का मन पर कोई नियंत्रण नही है।
मेरी इच्छाशक्ति बेजान हो गई है।"
आज अचानक पढ़ कर लगा की जीवन कुछ ऐसा ही हो गया है । आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है ।
Posted by :ubuntu at 2:02:00 AM 0 comments
Labels: premchand
तसलीम पर मेरी एक टिपण्णी
Friday, July 10, 2009
तसलीम पर आज एक ब्लॉग पढ़ा और एक टिपण्णी भी छोड़ी | मन किया उसको यहाँ भी प्रकाशित करुँ |
विषेय था बलात्कार और जाखिर जी ने पाठकोँ के विचार जानने चाहे | यह एक परिचर्चा है , आप भी निमंत्रित हैअपने सुझाव देने के लिए |
http://tasliim.blogspot.com/2009/07/psychology-of-rape.html
और
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2009/07/blog-post.html
इस पर मैंने यह टिप्पणी दी
मैं भी बाकी पाठको से सहमत हूँ , बलात्कार एक मानसिक विकृति ही है | मैंने इस बारे में काफी बार सोचा है की यह अपराध क्यों किया जाता है और अंत में यह नतीजा निकला -
हमेशा से ही हमारा समाज पुरुष प्रधान रहा है , हमें यह बताया जाता है की हम अधिकार जमा सकते हैं , विवाह के बाद भी पत्नी का जीवन पति की सेवा में ही गुज़र जाता है | इस तरह पुरुष यह मानने लगा है की नारी एक उपभोग की वस्तू है |
दूसरी बात यह की हर पुरुष और नारी को अपनी इक्छापूर्ति का हक है और सभी यह करते है पर समाज के दायेरे में रह कर | समस्या तब आती है जब व्यक्ति की ज्रुररतें उसके साधन से अधिक हो जाती हैं |
दोंनो तर्क मिलाये तो मेरा मानना है की वही परुष ऐसा कार्ये कर सकता है जिसके अन्दर पुरुष होने का अहम् हो और जो समाज और नारी को महत्व नहीं देता और बस उपयोग की वास्तु समझता है | ऐसे व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार हो जाते हैं और यह मानने लगते हैं कि वह कुछ भी कर सकतें हैं |
सभी को यह जानना चाहिए की हम एक सामाजिक प्राणी हैं और हमें समाज की व्यवस्था में रहना होगा |
जहाँ तक सवाल है की बलात्कार नगरों और महानगरों में ज्यादा क्यों होता है ,,,शायद इसकी वजह भी यही है की गोवों में अभी भी एक सामाजिक ढाचा बचा हुआ है और सभी एक दुसरे को जानते हैं ..तो एक लोक-लाज बची हुई है |
नगर और महा नगरों में सामाजिक व्यवस्था टूट रही है , खासकर इन दिनों जब मध्यवर्गी परिवार की बच्चे महानगरों की और पलायान कर रहे है | अपने परिवारों से दूर और पच्शिम सभ्यता के संपर्क में आ कर पथभ्रष्ट हो रहे हैं |
मैं बाकी पाठकोँ का ध्यान एक और ब्लॉग पर आकर्षित करना चाहूँगा Blank Noise Project
Posted by :ubuntu at 4:35:00 PM 0 comments
Long time ...no post ???
Sunday, March 29, 2009
Its been long time i have posted something of my own.
To start with i'll post two clips I recently watched.
Sita sings the blues is a humorous and innovative animation which tells story of Sita and Ram projecting it to a modern couple. I loved the narration style. I have even odwnloaded the movie :-)
The songs in it are awesome. Watch it and enjoy it.
JAVA, Search, Gadgets and me...: Did You Know 2.0
Posted by Himanshu, is a nice video explaining where the information age is taking this world.
I also learned about OLPC project (One laptop per child).
I visited India page of OLPC. 700 laptops have been so far distributed in India.
Earlier I was skeptical about the success of this mission in India, it heavily depends on an internet connection, else what will be the usefulness of a laptop to a child? But later when I gave it a thought about it, I realized that laptop is just a medium to impart education (like a language). However grass root realities could be different :-) .
Just finished reading "Rising Sun" by Micheal Crichton. It touches the dynamics of US-Japan economic relations and to some extend it is true as well. US lags behind Japan in auto and electronic segment. When I thought of buying a car, American models were out of question as they have very less re-sale value. I was concentrating on Japanese brands. Same is the case with electronics.
According to a Motley-Fool study, the US national debt is equivalent to its GDP, so essentially US economy growth is zero. i am hearing this financial year will even be more worse than previous year and current financial depression may reach its abyss.
Lets hope for the best. Job market in US is looking to be really horrific and repercussion are being felt on Indian IT Industry as well. With new Obama administration putting a cap on H1B visas to US , things in future looks more gloomy.
Posted by :ubuntu at 1:55:00 PM 0 comments
Labels: rumblings
Funny
Sunday, March 15, 2009
Here I found on Digg, 100 funny pictures with wrong angles. Lot of them float around in email attachments but some are new. These are quite funny.
http://www.hongkiat.com/blog/100-funny-photos-taken-at-unusual-angle-humor/
Also creative ads:
http://www.hongkiat.com/blog/70-creative-advertisements-that-makes-you-look-twice/
Posted by :ubuntu at 12:57:00 PM 0 comments
Labels: funny
Let it snow,Let it snow,Let it snow
Tuesday, January 20, 2009
Sitting by my window side seeing the light snowflaking outside is not-so-common-awesome experience. To add to top of that listening to the song "Let it snow, Let it snow, Let it snow".
आज का दिन कुछ ख़ास रहा । Charlotte में आज बर्फ़बारी हुई। मैं तो इससे जलसे कि तरह लेता हूँ , मैं उन लोगों में से हूँ जो बर्फ़बारी से २६ साल से वंचित रहे ।
यहाँ बर्फ़बारी आम नहीं है पर आम (mango) कि तरह ही पसंद की जाती है । रात से बर्फबारी शुरू हुई और सुबह तक जारी रही । सुबह उठ के देखा तो सफ़ेद चादर बिछी हुई थी , फिर क्या था अपना कैमरा निकाला और निकल पड़ा बाहर ( ऑफिस जाए भाड़ में) ।
तो लीजिये प्रस्तुत है यहाँ कि बर्फ़बारी कि कुछ झलकियाँ ।
Wanna see more pics, check out
http://picasaweb.google.com/p.bahuguna/SnowFallCharlotte2009#
Posted by :ubuntu at 9:48:00 AM 4 comments
2009
Thursday, January 1, 2009
Wishing all a Happy 2009 year to all readers. I pray this year to be prosperous and safe for India. No more terrorist attacks.
It's also time for resolutions. One immediate coming in my mind is to do a lot of photography and travel in US.
Also want to sort out my messy life and lifestyle. To begin with we did a massive cleaning of our house today on 1st Jan :-) and cleaned the car.
Hope this sanity prevails over me.
Posted by :ubuntu at 9:39:00 PM 0 comments
Strange
Tuesday, December 23, 2008
Recently read this somewhere and initially found it strange but later it started sinking in."Strange though it may sound, even if light didn't exist there would still be the speed of light and it would still have the same value. The speed of light is part of the geometry of space-time and the fact that light travels at "the speed of light" is almost a cosmic afterthought. Gravity and the so-called "strong force" also travel at that speed."
Posted by :ubuntu at 1:22:00 AM 1 comments