बिनाका गीत माला

विश्व मकड़ जाल पर कुछ ख़ूबसूरत नगमें मिले , सोचा इन को यहाँ डाला जाए

देव आनंद एक उम्दा चरित्रकार थे , जब तक उन्होंने अपनी गर्दन हिलानी शरु नहीं करी थी :-)

यह गीत उन्ही कि फिल्मों से है | मेरा पसंदीदा गीत है " अभी न जाओ छोड़ कर , के दिल अभी भरा नहीं " ।

मुझे देव आनंद "हम दोंनो" फ़िल्म मैं काफ़ी स्मार्ट लग्गे थे । और साधना जी का तो क्या कहना , उन का बालों का अंदाज़ तो दिल फ़ेंक था ।

पर मधुबाला जी कि टक्कर कोई नही कर सकता , माधुरी दीक्षित भी नहीं :-)

चलिए आप गीतों का लुत्फ़ ले , हाँ अगर गीत सुनते समय चाय का प्याला हाथ मैं हो तो फिर आप जन्न्त मैं हैं

मैंने हरिवंश राय बच्चन कि मधुबाला पढ़ ली है । एक कविता का अंश पेश है ।

इस पार प्रिय ,मधु है तुम हो
उस पार ना जाने क्या होगा
यह चाँद उदित हो कर नभ में
कुछ ताप मिटाता जीवन का ,
लहरा लहरा यह शाखायें
कुछ शोक भुला देती मन का
कल मुरझाने वाली कलियाँ ,
हंस कर कहती हैं , मग्न रहो |
बुलबुल तरु की फुनगी पर से ,
संदेश सुनाती योवन का |
तुम दे कर मदिरा के प्याले ,
मेरा मन बहला देती हो |
उस पार मुझे बहलाने का ,
उपचार ना जाने क्या होगा |
इस पार प्रिय ,मधु है तुम हो
उस पार ना जाने क्या होगा




















Posted by :ubuntu at 1:27:00 PM  

1 comments:

Praveen राठी said... 7/7/08 1:48 AM  

अच्छी रचना !
जन्मदिन की शुभ कामनाएं !
७ जुलाई

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